Dear Readers,आज हमलोग Indian Polity के Chapter-7:Indian citizenship(भारतीय नागरिकता) के बारे में पढ़ने जा रहे हैं |इससे पहले हमलोग Chapter-6:Parts of Indian Constitution, Articles And The union and its territory का Theory Part तथा इस chapter से exam में पूछे गए objective Questions के बारे में पढ़ चुके है यदि आपलोगों ने अभी तक इसे नहीं पढ़ा है तो पहले इसे अवश्य पढ़ें|
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भारतीय नागरिकता(Indian citizenship) (भाग-2, अनुच्छेद-5 से 11)
->भारत में एकल नागरिकता की व्यवस्था की गई है|
-> नागरिकता के संबंध में भारतीय संविधान के भाग-2 तथा अनुच्छेद 5 से 11 में प्रावधान किया गया है|
-> इस अनुच्छेद में केवल यह प्रावधान किया गया है कि भारत का नागरिक कौन है और किसे भारत का नागरिक माना जाए| इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 11 द्वारा संसद को भविष्य में नागरिकता के संबंध में कानून बनाने का अधिकार प्रदान किया गया है|
अनुच्छेद-5 ->संविधान की प्रारंभ की तारीख से प्रत्येक व्यक्ति इस देश का नागरिक समझा जाएगा जिसका भारत के राज्य क्षेत्र में “अधिवास” है तथा उसका जन्म भारत में हुआ हो या उसके माता-पिता में से किसी का जन्म भारत में हुआ हो एवं वह 5 वर्षों तक भारत में निवास किया हो|
अनुच्छेद-6
->पाकिस्तान से भारत आने वाले व्यक्ति को संविधान के प्रारंभ की तारीख से भारतीय नागरिक माना जाएगा, यदि वह या उसके माता-पिता में से किसी का जन्म भारत में हुआ हो या
->वह 19 जुलाई, 1948 से पहले भारत में चला आया हो तथा इस तिथि से वह भारत में रह रहा हो|
अनुच्छेद-7
->1 मार्च 1947 के पश्चात जो व्यक्ति भारत से पाकिस्तान चला गया है वह भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा|
अनुच्छेद-8
->भारतीय मूल का व्यक्ति यदि भारत से बाहर निवास करता है तो वह भारत का नागरिक समझा जाएगा यदि वह निम्नलिखित शर्तें पूरी कर ले|
(1)वह भारत का नागरिक के रूप में पंजीकृत कर लिया गया हो|
(2) वह पंजीकरण भारत के राजनयिक या कौंसलर प्रतिनिधि ,जहां वह उस समय निवास कर रहा हो के द्वारा किया गया हो|
अनुच्छेद-9
->यदि कोई भारतीय व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता अर्जित कर लेता है तो उसकी भारत की नागरिकता समाप्त हो जाएगी और वह अनुच्छेद 5, 6 या 8 के आधार पर नागरिकता के अधिकार का दावा नहीं कर सकता है|
अनुच्छेद-10
->नागरिकता के अधिकारों का बना रहना|
अनुच्छेद-11
->नागरिकता से संबंधित उपबंधों को विनियमित करने तथा उसकी समाप्ति और अर्जन के लिए विधि बनाने की शक्ति संसद के पास होना|
भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की विधि
संसद द्वारा निर्मित नागरिकता अधिनियम 1955 के अधीन भारतीय नागरिकता(Indian citizenship) को निम्न प्रकार से प्राप्त किया जाता है|
(1)जन्म द्वारा
(2)वंशानुगत द्वारा
(3)पंजीकरण द्वारा
(4)देशीयकरण द्वारा
(5)भूमि विस्तार द्वारा
जन्म द्वारा:
->यदि कोई व्यक्ति 26 जनवरी, 1950 के बाद भारत में जन्म लेता है तथा उसके जन्म के समय उसके माता-पिता भारत का नागरिक है तो उसे जन्म से ही भारतीय नागरिकता(Indian citizenship) मिल जाती है| अधिकांशत: भारतीय इसी श्रेणी के नागरिक हैं इस प्रकार की नागरिकता समाप्त नहीं की जा सकती है|
वंशानुगत द्वारा:
->यदि कोई व्यक्ति 26 जनवरी, 1950 के बाद भारत से बाहर जन्म लेता है एवं उसके जन्म के समय उसके माता-पिता भारत का नागरिक है तो वह भारत का वंशानुगत नागरिक होगा| इसके लिए उस बच्चे का पंजीकरण भारतीय वाणिज्य दूतावास में उसके जन्म के बाद 1 साल की अवधि के भीतर करानी होती है|
पंजीकरण द्वारा:
भारतीय नागरिकता(Indian citizenship) के लिए आवेदन किए जाने पर केंद्रीय सरकार किसी भी व्यक्ति(एक गैरकानूनी अप्रवासी ना होने पर) को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत कर सकती है यदि वह निम्न में से किसी भी एक श्रेणी के अंतर्गत आता हो-
(1)भारतीय मूल का एक व्यक्ति जो पंजीकरण के लिए आवेदन कर रहा है वह आवेदन करने से पहले 7 साल तक भारत में रह चुका हो|
(2)भारतीय मूल का एक व्यक्ति जो अविभाजित भारत के बाहर किसी भी देश या स्थान में साधारण निवासी हो|
(3)जिसने भारत के नागरिक से विवाह किया हो और पंजीकरण के लिए आवेदन करने से पहले 7 साल के लिए भारत का साधारण निवासी रहा हो|
(4)पूर्ण आयु और क्षमता से युक्त एक व्यक्ति जिसके माता-पिता 7 साल तक भारत में रहने के कारण भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हैं|
(5)पूर्ण आयु और क्षमता से युक्त एक व्यक्ति जो 5 सालों के लिए भारत के एक विदेशी नागरिक के रूप में पंजीकृत है और पंजीकरण के लिए आवेदन देने से पहले वह 1 साल से भारत में रह रहा हो|
देशीयकरण द्वारा:
यदि किसी अन्य देश का नागरिक भारत की नागरिकता के लिए आवेदन करता है, तो कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद उसे इस श्रेणी में भारत की नागरिकता दे दी जाती है|
(1)वह किसी ऐसे देश का नागरिक ना हो जहां भारतीय देशीकरण द्वारा नागरिक बनने से रोक दिए जाते हो|
(2)उसने अपने देश की नागरिकता का परित्याग कर दिया हो और केंद्रीय सरकार को इस बात की सूचना दे दी हो|
(3)वह देशीयकरण के लिए आवेदन करने की तिथि से पहले 12 वर्ष तक या तो भारत में रहा हो या भारत सरकार की सेवा में रहा हो इस संबंध में केंद्रीय सरकार यदि उचित समझे तो इस अवधि को घटा सकती है|
(4)उसे किसी भारतीय भाषा का ज्ञान हो|
भूमि-विस्तार द्वारा:
->यदि किसी नए भू-भाग को भारत में शामिल किया जाता है तो उसके नागरिक स्वत: भारत के नागरिक बन जाते हैं| गोवा दमन-दीव, पांडिचेरी तथा सिक्किम के राज्य क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों को इनके भारत में शामिल होने पर इसी प्रकार से नागरिकता प्राप्त हुई थी|
भारतीय नागरिकता की समाप्ति
स्वैच्छिक त्याग:
->भारतीय नागरिकता(Indian citizenship) का स्वैच्छिक रूप से त्याग किया जा सकता है| यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य राष्ट्र की नागरिकता प्राप्त करने के लिए भारत की नागरिकता का परित्याग करता है तो उस पर कोई संवैधानिक अवरोध नहीं लगाया जा सकता है बशर्ते कि वह व्यक्ति किसी प्रकार के अपराध में लिप्त न रहा हो और पूर्णत: निर्दोष हो|
प्रवसन द्वारा:
->यदि कोई भारतीय किसी अन्य देश में रह रहा है और वह वहां की नागरिकता अर्जित कर लेती है तो उसकी भारतीय नागरिकता (Indian citizenship)समाप्त हो जाती है|
अवैध रूप से अर्जित:
->यदि किसी व्यक्ति ने भारत की नागरिकता कपटता से अर्जित की है तो भारत सरकार उसे भारतीय नागरिकता(Indian citizenship) से वंचित कर सकती है|
The union and its territory(Objective questions in Hindi)
If you have any queries regarding Indian citizenship fell free to ask me in the comments below.
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