Last updated on November 9th, 2023 at 01:40 am
Powers of the President of India in Hindi
Dear Readers,आज मैं Indian Polity के Chapter-11:भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां(Powers of the President of India)का Theory Part Hindi में share करने जा रहा हूं, जो आपके आने वाले SSC CGL, CHSL, CPO, MTS Exams के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे| इससे पहले मैं, भारत के राष्ट्रपति(President of India) के बारे में important point share कर चुका हूं| यदि आपलोगों ने अभी तक नहीं पढ़ा है तो इसे पढ़ने के लिए निचे दिए गए Link को Click करे|
President of India in Hindi
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राष्ट्रपति की शक्तियां(Powers of the President)
राष्ट्रपति को संविधान द्वारा व्यापक शक्तियां प्रदान की गई है जिसे निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है-
(1)कार्यपालिका शक्तियां(Executive powers)
(2)न्यायिक शक्तियां (Judical powers)
(3)सैनिक शक्तियां(Military powers)
(4)राजनयिक शक्तियां(Diplomatic powers)
(5)वित्तीय शक्तियां (Financial powers)
(6)विधायी शक्तियां(Legislative powers)
(7)आपातकालीन शक्तियां(Emergency powers)
राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियां(Executive powers of the President)
->अनुच्छेद 73 के अनुसार संघ की कार्यपालिका की समस्त शक्तियां राष्ट्रपति में निहित होती है और वह अपनी इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद् की सहायता और मंत्रणा से करता है|
राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्ति को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है|
(1)मंत्रीपरिषद का गठन:-
->अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका शक्ति के संचालन के लिए मंत्रीपरिषद् का गठन करता है, जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है|
(2)नियुक्ति संबंधी शक्तियां:- राष्ट्रपति निम्न को नियुक्त करता है-
->प्रधानमंत्री
->केंद्रीय मंत्रीपरिषद्
->सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को
->राज्यों के राज्यपाल
->भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
->मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त
->भारत के महान्यायवादी
->संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों को
->वित्त आयोग के सदस्यों को
->भाषा आयोग के सदस्यों को
->पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्यों को
->अल्पसंख्यक आयोग के सदस्यों को
->भारत के राजदूतों तथा अन्य राजनयिकों आदि|
(Note:-वे सभी आयोग जिनके नामों से पहले संघ/संघीय/राष्ट्रीय/केंद्रीय लगा हो के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है|)
->राष्ट्रपति ये सभी नियुक्तियां मंत्रिपरिषद् की सलाह से करता है|
->वह अपने द्वारा नियुक्त प्राधिकारियों तथा अधिकारियों को पदमुक्त भी कर सकता है|
(3)आयोगों का गठन:-राष्ट्रपति द्वारा गठित किए जाने वाले आयोग हैं-
->सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग की दशाओं का अन्वेषण करने के लिए आयोग|
->राज्य भाषा पर प्रतिवेदन देने के लिए आयोग
->वित्त आयोग
->संघ लोक सेवा आयोग और राज्यों के समूहों के लिए संयुक्त आयोग
->अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन पर रिपोर्ट देने के लिए तथा राज्यों में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी क्रियाकलापों पर रिपोर्ट देने के लिए आयोग|
राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां (Judical powers of the President)
भारत के राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां को निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है|
(1)न्यायाधीशों को नियुक्त करने की शक्ति:-
->अनुच्छेद 124 के तहत राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते है| परंतु वास्तव में इन नियुक्तियों में सर्वोच्च-न्यायालय के न्यायाधीशों का कॉलेजियम विशेष भूमिका निभाती है|
(2)सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श की शक्ति:-
->अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति किसी भी सार्वजनिक महत्व के विषय पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले सकता है किंतु वह यह परामर्श मानने के लिए बाध्य नहीं है और न्यायाधीश भी परामर्श देने के लिए बाध्य नहीं है|
(3)क्षमादान की शक्ति:-
->संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति सर्वोच्च-न्यायालय द्वारा दी गई सजा को माफ कर सकता है परंतु इस संदर्भ में मंत्रीपरिषद् की निर्णायक भूमिका होती है|
->राष्ट्रपति का ‘क्षमा का अधिकार’ जनहित पर आधारित है|
राष्ट्रपति निम्नलिखित मामलों में क्षमादान दे सकती है:-
(I)सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड के मामले में
(II)मृत्यु दण्डादेश के सभी मामलों में
(III)उन सभी मामलों में, जिसमें दण्ड या दण्डादेश ऐसे विषय संबंधी किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए दिया गया है, जिस विषय तक संघ की कार्यपालिका का विस्तार हो|
->राष्ट्रपति, सर्वोच्च-न्यायालय द्वारा दी गई सजाओं पर पांच प्रकार से निर्णय ले सकते हैं-
(I)क्षमा(Pardon)-इसके तहत, दी गई सजा को पूर्णत: समाप्त कर दिया जाता है|
(II)लघुकरण(Commutation)-सजा की प्रकृति को बदल दिया जाता है|
(III)परिहार(Remission)-सजा की प्रकृति को बदले बगैर उसे कम कर दिया जाता है|
(IV)विराम(Respite)-इसमें किसी विशेष तथ्य को देखकर सजा को कम कर दिया जाता है|
(V)प्रविलंबन(Reprieve)-इसमें दण्डादेश के निष्पादन को रोक दिया जाता है|
राष्ट्रपति की सैनिक शक्तियां(Military powers of the President)
->राष्ट्रपति तीनों सेनाओं (जल सेना, थल सेना, वायु सेना )का सर्वोच्च सेनापति होता है|
->तीनों सेनाओं के अध्यक्षों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है|
->दूसरे देशों के साथ युद्ध व युद्ध विराम तथा संधि व समझौते की घोषणा राष्ट्रपति के नाम से की जाती है| परंतु इन घोषणाओं को संसद की मंजूरी आवश्यक है|
राष्ट्रपति की राजनयिक शक्तियां(Diplomatic powers of the President)
->अंतरराष्ट्रीय मामलों में राष्ट्रपति भारत का प्रतिनिधित्व करता है|
->अन्य देशों में भेजे जाने वाले राजदूत और उच्चायुक्त राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं तथा साथ ही अन्य देशों से भारत में नियुक्ति पर आने वाले राजदूतों एवं उच्चायुक्तों का अनुमोदन करते हैं|
->दूसरे देशों के साथ कोई भी समझौता या संधि राष्ट्रपति के नाम से ही की जाती है|
राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां (Financial powers of the President)
->कोई भी धन विधेयक व वित्त विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना लोकसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है|
->राष्ट्रपति के अनुमति के बिना वित्तीय अनुदान की मांग नहीं की जा सकती है|
->अनुच्छेद 112 के तहत भारत सरकार का वार्षिक बजट और पूरक बजट लोकसभा में राष्ट्रपति के नाम से ही प्रस्तुत किया जाता है|
->अनुच्छेद 280 के तहत राष्ट्रपति केंद्र एवं राज्यों में राजस्व वितरण करने हेतु प्रति 5 वर्ष बाद वित्त आयोग का गठन करता है|
->भारत के आकस्मिक निधि कोष पर राष्ट्रपति का नियंत्रण होता है जबकि संचित निधि कोष पर संसद का नियंत्रण होता है|
->आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रपति आकस्मिक निधि कोष को बिना संसद की स्वीकृति से निकाल सकता है|
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